बड़े भाई साहब
-प्रेमचंद
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ-दस पंक्तियों में लिखिए।
1.दो भाइयों में आपको किसकी भूमिका अच्छी लगी? क्यों?
ज. दोनों भाइयों में मुझे बड़े भाई की भूमिका अच्छी लगी। क्योंकि वे छोटे भाई की खुशियों के लिए अपनी खुशियों का त्याग करते हैं। वे छोटे भाई की भलाई के लिए उसे डाँटते हैं। उनके कारण छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता है। वे छोटे भाई से कहते हैं कि मेरी कक्षा के निकट होने पर भी तुम उम्र और अनुभव में मुझसे छोटे हो। तुममें अनुभव की कमी है। मैं तुम्हारी भलाई के लिए तुम्हें डॉटता हूँ। हमें बड़े लोगों का आदर करना चाहिए। वे कहते है कि उनका मन भी खेलने को करता है। किंतु यदि वे खेलेंगे तो छोटे भाई को कौन सँभालेगा। यह सुनकर लेखक को अपने बड़े भाई साहब के लिए अत्यंत आदर भाव उत्पन्न होता है। वह अपने किए के लिए बड़े भाई साहब से माफ़ी माँगते हैं।
2.बड़े भाई की डाँट - फटकार का छोटे भाई की सफलता में क्या योगदान था ?
ज. छोटे भाई की सफलता में बड़े भाई की डॉट - फटकार का विशेष योगदान था। बड़े भाई साहब की डॉट फटकार न मिलती तो छोटे भाई की सफलता पर प्रभाव अवश्य पड़ता । वास्तव में बड़े भाई की डॉट में भी प्रेम है। वे चाहते हैं कि उनका छोटा भाई आगे बढ़े। अतः बड़े लोगों की डॉट भी बच्चों के लिए ज़रूरी है। बड़े लोगों की देखरेख में ही हमारा मार्गदर्शन होता है। जैसे इस कहानी में छोटा भाई ड़े भाई की नोट से प्रेरणापाकर कक्षा में अव्वल आता रहता है। लेखक ने यहाँ बड़े लोगों के रूखेपन भी प्रहार किया है। उसका मानना है कि बच्चों को खेलकूद के साथ शिक्षा का मौका मिलना चाहिए। तभी उनका सर्वांगीण विकास हो सकता है।
3.'बड़े भाई साहब' कहानी में आपको कौन सा पात्र सबसे अच्छा लगा ? *
ज. 'बड़े भाई साहब' कहानी में मुझे बड़े भाई का पात्र सबसे अच्छा लगा। क्योंकि वे छोटे भाई की खुशियों के लिए अपनी खुशियों का त्याग कर रहे हैं। वे छोटे भाई की भलाई के लिए उसे डॉट रहे हैं। उनके कारण छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता है। वे छोटे भाई से कहते हैं - मेरी कक्षा के निकट होने पर भी तुम उम्र और अनुभव में मुझसे छोटे हो। तुममें अनुभव की कमी है। मैं तुम्हारी भलाई के लिए तुम्हें डॉटता हूँ। हमें बड़े लोगों का आदर करना चाहिए। वे और भी कहते हैं उनका मन भी खेलने को करता है। किंतु यदि वे खेलेंगे तो छोटे भाई को कौन संभालेगा। यह सुनकर लेखक को अपने बड़े भाई साहब के लिए अत्यंत आदर भाव उत्पन्न होता है। वह अपने किए के लिए बड़े भाई साहब से माफ़ी माँगता है। सय है जाटों की सफलता में बड़ों का बड़ा त्याग होता है। हमें अपने बड़ों का सदा सम्मान करना चाहिए।
4.बड़े भाई साहब ने लेखक को किस प्रकार जीवन के अनुभवों का महत्व समझाया ?
ज./ बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव को किताबी ज्ञान से अधिक प्राथमिकता दी है। एक दिन लेखक पतंग लूटने के लिए बेतहाशा दौड़ रहा है। उसे वहाँ चलने वाली गाड़ियों का ध्यान भी नहीं रहता है। तभी वह अपने भाई साहब से टकरा जाता है। बड़े भाई साहब उसे डॉटते हुए बताते हैं कि मेरी कक्षा के निकट होने पर भी तुम उम्र और अनुभव में मुझसे छोटे हो। तुममें अनुभव की कमी है। मैं तुम्हारी भलाई के लिए तुम्हें डॉटता हूँ। बड़े भाई का कहना सत्य ही है। क्योंकि अनुभव से ही हमें सच्चा ज्ञान प्राप्त होता है। अनुभवजन्य ज्ञान हमें अधिक समय तक उपयोग आता है। रटा हुआ किताबी ज्ञान समय पड़ने पर हमारे काम नहीं आता। हमें परिस्थितियों के अनुसार अनुभव के आधार पर ही अपने ज्ञान का उपयोग करना पड़ता है। अतः अनुभव के आधार पर प्राप्त ज्ञान ही स्थायी होता है।
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