2. नेताजी का चश्मा
2. नेताजी का चश्मा
-स्वयं प्रकाश
लेखक परिचय :
स्वयं प्रकाश का जन्म सन् 1947 में इंदौर, मध्यप्रदेश में हुआ। आठवें दशक उभरे स्वयं प्रकाश आज समकालीन कहानी के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं/ उनके 13 कहानी-संग्रह प्रकाशित हुए हैं। जिनमें सूरज कब निकलेगा, आयेंगे अच्छे दिन भी, आदमी जात का आदमी और संधान उल्लेखनीय हैं। मध्यवर्गीय जीवन के कुशल चितेरे स्वयं प्रकाश की कहानियों में वर्ग शोषण के विरुद्ध चेतना है तो हमारे सामाजिक जीवन के भेद-भाव के खिलाफ़ प्रतिकार का स्वर भी है। रोचक किस्सागोई शैली में लिखी गई उनकी कहानियाँ हिंदी की
वाचिक परंपरा को समृद्ध करती हैं।
प्रश्न - उत्तर
1. आदर्श सेना की क्या-क्या विशेषताएं हो सकती हैं?
ज. आदर्श सेवा में देशभक्ति, सौगात, धैर्य, साहस, अनुशासन, परोपकार आदि विशेषताएँ हो सकती हैं।
2. प्राकृतिक आपदाओं के समय सैनिकों का क्या सहयोग होता है?
ज. प्राकृतिक आपदाओं के समय सैनिक मार लोगों की सहायता करते हैं। वहाँ फँसे लोगों को बाहर निकालते हैं।
3. देश की रक्षा करने में सैनिकों का क्या योगदान है?
ज. बाढ़, तूफान, भूकंप, सूखा आदि प्राकृतिक आपदाओं के समय देश की रक्षा करने में सैनिकों का सेवा भावना का परिचय मिलता है।
4. गाँवों में मुख्य रूप से क्या क्या सुविधाएँ होनी चाहिए?
ज.गाँवों में मुख्य रूप से बिजली, सड़क, पीने का साफ़ पानी, साफ़-सफ़ाई की व्यवस्था,आदि की सुविधाएँ होनी चाहिए।
5. सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा क्यों लगायी गयी होगी?
ज. सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति भी इसीलिए लगाई गयी होगी कि लोग देशभक्तों को याद करें। इससे देशभक्ति देशभक्तों को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से कई उनकी मूर्तियाँ की भावना का प्रसार होगा। साथ ही लगाई जाती हैं।
6. हालदार को पानवाले की बातें सुनकर आश्चर्य क्यों हुआ होगा?
ज. हालदार साहब ने जब पत्थर की मूर्ति पर वास्तविक चश्मा देखा तो उन्हें आश्चर्य हुआ होगा। क्योंकि आज जहाँ देशभक्ति समाप्त होती दिख रही है वहीं ऐसे भी लोग है जो अपने सामर्थ्य के अनुसार ही सही अपनी देशभक्ति निभा रहे हैं।
7. हालदार साहब ने उस कस्बे के नागरिकों को क्यों सराहा होगा?
ज. हालदार साहब ने सोचा कि चश्मा कस्बे के लोगों ने लगाया है। इसलिए उन्होंने कस्बे के नागरिकों को सराहा होगा। उन्होंने सोचा होगा कि मूर्ति के आकार का महत्त्व नहीं, महत्त्व लोगों की भावना का है, वरना देशभक्ति तो मजाक की चीज़ बनती जा रही है। लोगों ने कितना भला सोचा है कि मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती लेकिन चश्मा तो बदल ही सकती है।
8. काटने वाले चश्मेवाले को कैप्टन क्यों कहते थे?
ज. चश्मेवाला बड़ा देशभक्त था। चश्मेवाले कैप्टन को बिना चश्मे वाली नेताजी की मूर्ति बुरी लगती थी' इसलिए वह अपनी दुकान के फ्रेमों में से एक नेताजी की मूर्ति पर लगा देता था। उसकी देश भक्ति को देखकर लोग उसे कैप्टन कहते थे।
9.चश्मेवाले का संक्षिप्त परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
ज. कैप्टन बेहद बूढ़ा, मरियल-सा, लँगड़ा, सिर पर गाँधी टोपी, आँखों में काला चश्मा, हाथ में एक छोटी संदूकची, दूसरे हाथ में बाँस पर टँगे चश्मे का फ्रेम लिए कैप्टन कस्बे में फेरी लगाता रहता था। उसे नेताजी की मूर्ति बिना चश्मे के अच्छी नहीं लगती थी। वह अपने वास्तविक फ्रेमों से कोई फ्रेम मूर्ति पर लगा देता। ग्राहक माँगते तो वह चश्मा उन्हें बेचकर नया चश्मा फिर से मूर्ति पर लगा देता। इस प्रकार वह अपनी देशभक्ति का निर्वाह कर रहा था .
10..'नेताजी का चश्मा' में देश भक्ति का मार्मिक प्रतिबिंब है। इसे अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
ज. 'नेताजी का चश्मा' कहानी में देशभक्ति का मार्मिक प्रतिबिंब सर्वत्र नज़र आता है। चश्मेवाला सेनानी नहीं था। लोग उसकी देशभक्ति के कारण उसे कैप्टन कहते थे उसके मन में देशभक्ति एवं देश-प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी थी। जहाँ लोग देश के लिए कुछ भी करने से कतराते हैं वहीं चश्मेवाला नेताजी की मूर्ति को भी बिना चश्मे के नहीं देख सकता था। इसे वह नेताजी का अपमान समझता था। वह अपने पास के चश्मों में से एक रोज मूर्ति पर लगा देता था। यदि कोई ग्राहक वही चश्मा माँगता तो वह उसे माफी मांगते हुए बेच देता और अगले दिन नया चश्मा लगा देता। इस तरह नेताजी का चश्मा लगभग रोज बदलता रहता। इसे देखकर हालदार साहब ने सोचा कि चश्मे वाला कोई सेनानी या नेताजी का साथी होगा। लेकिन जब उन्होंने देखा कि चश्मेवाला गरीब और अपाहिज है तो उनके मन में श्रद्धा और दया के भाव उभर आये। उन्होंने सोचा कि आज भी देश में देशभक्ति बची है। जहाँ सरकार देशभक्तों की मूर्तियाँ लगाकर उनकी साफ़-सफ़ाई की व्यवस्था भूल जाती है, वहीं एक छोटा सा चश्मा-विक्रेता मूर्ति की आँखों पर चश्मा रखना नहीं भूलता। कैप्टन की मृत्यु के बाद हालदार साहब को लगा कि अब नेताजी की आँखों पर कभी चश्मा नहीं लगेगा। परंतु उन्होंने जब बच्चों द्वारा लगाया गया,सरकंडे का चश्मा देखा तो ये भावुक हो गये।
11.हालदार और पानवाले के बीच जो बातचीत हुई, उसे संवाद के रूप में लिखिए।
ज.
हालदार : भाई! नेताजी की आँखों पर असली चश्मा क्यों है? : है।
पानवाला : जी साहब! कैप्टन चश्मेवाला चश्मा लगाता
हालदार : कैप्टन! क्या यह उसका असली नाम है?
पानवाला : नहीं, उसकी देशभक्ति के कारण लोग उसे कैप्टन कहते हैं।
हालदार : : क्या वह कोई स्वतंत्रता सेनानी है
पानवाला : नहीं वह तो अपाहिज है। वह देखिए वह है। छपवा दीजिए उसे अख़बार में...
(कुछ दिनों बाद)
हालदार : आज नेताजी की आँखों पर चश्मा क्यों नहीं है?
पानवाला : (आँसू पोंछते हुए) साहब, कैप्टन मर गया। अब चश्मा कौन लगाएगा।
Good
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