1.सुंदर भारत
1.सुंदर भारत
इन प्रश्नों के उत्तर पाँच-छह पंक्तियों में लिखिए।
1. भारत देश की सुंदरता का वर्णन कीजिए
ज. भारत देश बहुत सुंदर है। उसके माथे पर हिमालय का मुकुट है। उसके चरणों में सिंधु है। यहीं शीतन पवित्र नदियां बहती है। भारत कृषि-प्रधान देश है। यहाँ चारों ओर हरियाली है। यहाँ के गाँव साफ-सुथरा और सुघर होते हैं। यहाँ की संस्कृति निराली है। यहाँ के पर्वत, पठार, जलाशय आदि यहाँकी शोभा में चार-चाँद लगाते हैं।
2. भारत की प्रकृति निराली है। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य सारी दुनिया को लुभाता है। इसे शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
ज. भारतवर्ष की शोभा निराली है। माथे पर हिमालय और चरणों में सागर है। यहाँ लगभग सभी प्रकार के प्राकृतिक क्षेत्र पाये जाते हैं। पर्वत, नदियाँ, झील, वन आदि यहाँ भरे पड़े हैं। भारत की गोद में अनेको नदियाँ खेलती हैं। यहाँ अनेक देशों से यात्रा करने के लिए लोग आते हैं। यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य के कारण आज पर्यटन भारत का मुख्य व्यवसाय बन गया है। भारत में पर्यटन का विकास इस बात का प्रमाण है कि यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य सारी दुनिया को लुभाता
3.कवि ने भारत देश की तुलना स्वर्ग से क्यों की होगी ? स्पष्ट कीजिए।
ज. भारत को महान देश कहा गया है। यहाँ की प्राकृतिक शोभा अद्भुत है। अनेक कवियों ने इसकी प्राकृतिक शोभा का वर्णन अपने कविताओं में किया है। सिर पर हिमालय का मुकुट है। सिंधु इसके चरणों को धोता है। गोद में अनेक पवित्र नदियाँ बहती है। भारत का प्राकृतिक वैभव सबके मन को मौ भारत कृषि प्रधान देश है। यहाँ की कृषि प्रणाली अत्यंत दर्शनीय है। यह धरती सुखों का सागर है। इसकी शोभा देखकर ऐसा लगता है कि स्वर्ग धरती पर उतर आया है इस धरती पर ही स्वर्ग के सारे दृश्य विद्यमान है। इसलिए कवि कहते हैं कि भारत भूमि स्वर्ग के समान है। यहाँ सुखों का सागर है। यहाँ के लोगों के स्वभाव में से जनता है। अपने – अपने धर्म एवं मत को मानने की स्वतंत्रता है। हम इसकी बारबार वंदना करते हैं। कवि का गुणगान बार बार करते हैं। भारत एक न्यायप्रिय देश है। यहाँ सबके साथ न्याय होता है। हर दृष्टि से भारत महान है। यही कारण है कि कवि ने भारत देश की तुलना स्वर्ग से की होगी।
4.कृषि-कर्म से क्या तात्पर्य है?
ज.कृषि-कर्म का तात्पर्य खेती-बारी है। भारत में अधिकतर लोग खेती के व्यवसाय से जडे े प्रधान देश है। यहाँ के खेतों की शोभा निराली होती है। फसलों की क्यारियाँ बड़ी मनोहर हैं। यहाँ নया हर प्रकार के अन्न उगाये जाते हैं। कृषि-कर्म अन्य सभी कार्यों से श्रेष्ठ माना गया है। क्योंकि इससे लोगों का जीवन चलता है। यह केवल अपनी भूख मिटाने के लिए नहीं बल्कि दूसरों की व्यवसाय है। भारत में कृषि की परंपरा बड़ी पुरानी है।
व्याकरण सुंदर भारत
व्याकरण
1. संधि विच्छेद
हिमाचल = हिम + अचल (स्वरदीर्घ संधि)
धर्मावलंबी = धर्म + अवालंबी. (स्वरदीर्घ संधि)
एकैक = एक + एक (वृद्धि संधि)
महोदय = महा + उदय. (गुण संधि)
निर्बल = निः + बल. (विसर्ग संधि)
सज्जन = सत् + जन. (व्यंजन संधि)
निर्भय = निः + भय. (विसर्ग संधि)
2.समास
आजीवन = जीवन भर चलने वाला. (अव्ययीभाव समास) दशानन = जिसके दस सिर हों. (बहुव्रीहि समास)सुरलोक = सुरों का लोक (तत्पुरुष समास)सिंधु – अंचल = सिंधु का अंचल. (तत्पुरुष समास) चौराहा = जहाँ चार रास्ते मिलें. (द्विगु समास)माता – पिता = माता और पिता. (द्वंद्व समास) न्याय बंधु = न्याय का बंधु. (तत्पुरुष समास)
3. उपसर्ग
बेरोक – बेअचंचल – अउपवन – उपस्वधर्म – स्वासुजनता – सुनिर्भय – निः
4. प्रत्यय
सरिता – तावंदनीय – ईयअवलंबनीय – ईयकमनीय – ईयअभिनंदनीय – ईयदर्शनीया – ईयानिर्बंधनीय – ईय
5. अलंकार
1. भारत हमारा कैसा सुंदर सुहा रहा है। (अनुप्रास अलंकार) 2. मम प्रेम पाणि पल्लव – अवलंबनीय भारत (अनुप्रास अलंकार) 3. स्वाभाविक सुजनता गत शोक है यहीं पर (अनुप्रास अलंकार)
6. कारक पहचानिए।
1. सुरलोक की छटा को पृथ्वी पे ला रहा है।
ज. की (संबंध कारक), को (कर्म कारक)
2. “उर पर विशाल सरिताज. पर (अधिकरण कारक)
7. व्याकरण की दृष्टि से रेखांकित शब्द है ।
1. भारत हमारा कैसा सुंदर सुहा रहा है।ज. निजवाचक सर्वनाम
2. कमनीय दर्शनीया कृषि – कर्म की प्रणाली।
ज. विशेषण
8. भविष्यत काल में लिखिए।
1. भारत हमारा कैसा सुंदर सुहा रहा है।
ज. भारत हमारा कैसा सुंदर सुहाएगा।
2. सारा सुदृश्य – वैभव मन को लुभा रहा Iज. सारा सुदृश्य वैभव मन को लुभाएगा l
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