वर्षा के दिन की अपनी एक दिन की दिनचर्या को डायरी लेखन के रूप में लिखें
आज भारी वर्षा हुई। पाठशाला में छुट्टी दे दी गई। इस कारण आज मैं पाठशाला भी नहीं गया। सोचा कि घर पर ही थोड़ी पढ़ाई कर लेते हैं। हिंदी किताब निकाली और पढ़ने बैठ गया। दोपहर बारह बजे तक पढ़ाई की। भोजन का समय हो गया था। माँ ने खाने के लिए बुलाया। भोजन करने के बाद मैंने थोड़ी देर टी वी देखी। फिर बारिश और तेज़ हो गई। बिजली कड़कने की आवाज़ जोर से होने लगी। तभी घर की बिजली चली गई। मैंने खिड़कियों से बाहर देखा। घनघोर वर्षा हो रही थी। वर्षा के कारण घर. में शीतल हवाएँ बह रही थीं। तभी मुझे ख्याल आया कि कुतिया के बच्चे तो बारिश में भीग रहे होंगे। वास्तव में मेरे घर के पास ही कुतिया ने कुछ ही दिनों पहले पिल्ले दिये थे। मैं भागकर बाहर गया। छतरी साथ ले गया था। घर की चहारदीवारी का गेट खोल दिया। पिल्ले तो जैसे मेरे इंतज़ार में बैठे थे। गेट खोलते ही वे घर के बरामदे में घुस आए। मैं भी वापस बरामदे में पहुँचा। पिल्ले मेरे पास आकर
अपनी पूँछ हिलाने लगे, जैसे वे मुझे धन्यवाद कह रहे हों।
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