व्याकरण सुंदर भारत
1. संधि विच्छेद
हिमाचल = हिम + अचल (स्वरदीर्घ संधि)
धर्मावलंबी = धर्म + अवालंबी. (स्वरदीर्घ संधि)
एकैक = एक + एक (वृद्धि संधि)
महोदय = महा + उदय. (गुण संधि)
निर्बल = निः + बल. (विसर्ग संधि)
सज्जन = सत् + जन. (व्यंजन संधि)
निर्भय = निः + भय. (विसर्ग संधि)
2.समास
आजीवन = जीवन भर चलने वाला. (अव्ययीभाव समास)
दशानन = जिसके दस सिर हों. (बहुव्रीहि समास)
सुरलोक = सुरों का लोक (तत्पुरुष समास)
सिंधु - अंचल = सिंधु का अंचल. (तत्पुरुष समास)
चौराहा = जहाँ चार रास्ते मिलें. (द्विगु समास)
माता - पिता = माता और पिता. (द्वंद्व समास)
न्याय बंधु = न्याय का बंधु. (तत्पुरुष समास)
3. उपसर्ग
बेरोक - बे
अचंचल - अ
उपवन - उप
स्वधर्म - स्वा
सुजनता - सु
निर्भय - निः
4. प्रत्यय
सरिता - ता
वंदनीय - ईय
अवलंबनीय - ईय
कमनीय - ईय
अभिनंदनीय - ईय
दर्शनीया - ईया
निर्बंधनीय - ईय
5. अलंकार
1. भारत हमारा कैसा सुंदर सुहा रहा है। (अनुप्रास अलंकार) 2. मम प्रेम पाणि पल्लव - अवलंबनीय भारत (अनुप्रास अलंकार)
3. स्वाभाविक सुजनता गत शोक है यहीं पर (अनुप्रास अलंकार)
6. कारक पहचानिए।
1. सुरलोक की छटा को पृथ्वी पे ला रहा है।
ज. की (संबंध कारक),
को (कर्म कारक)
2. "उर पर विशाल सरिता
ज. पर (अधिकरण कारक)
7. व्याकरण की दृष्टि से रेखांकित शब्द है ।
1. भारत हमारा कैसा सुंदर सुहा रहा है।
ज. निजवाचक सर्वनाम
2. कमनीय दर्शनीया कृषि - कर्म की प्रणाली।
ज. विशेषण
8. भविष्यत काल में लिखिए।
1. भारत हमारा कैसा सुंदर सुहा रहा है।
ज. भारत हमारा कैसा सुंदर सुहाएगा।
2. सारा सुदृश्य - वैभव मन को लुभा रहा I
ज. सारा सुदृश्य वैभव मन को लुभाएगा l
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