4. कवित
-पद्माकर
कवि परिचय
रीतिकाल के कवियों में पद्माकर का नाम मूर्धन्य है। वे बॉदा,
उत्तर प्रदेश के निवासी थे। उनके परिवार का वातावरण कवित्वमय था। उनके पिता मोहनलाल भट्ट अच्छे विद्वान
और कवि थे। उनके साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्य भी
कवि थे। अतः उनके वंश का नाम 'कवीश्वर' पड़ गया।
कवित्व के संस्कार पैतृक रूप में प्राप्त थे उनकी कवित्व प्रतिभा को देखकर बूँदी के महाराज ने बहुत मान-सम्मान दिया और जयपुर के नरेश ने उन्हें "कविराज शिरोमणि' की उपाधि दी। उनकी रचनाओं में हिम्मत बहादुर विरुदावली, पद्माभरण, जगत विनोद, राम रसायन, गंगा लहरी आदि प्रमुख हैं।
1.कवि ने वसंत ऋतु का वर्णन किन-किन उदाहरणों से किया है ? आप इसी ऋतु का वर्णन किन उदाहरणों के द्वारा करना चाहेंगे?
ज. कवि ने वसंत ऋतु का वर्णन भौरों, बाग-बगीचों, झूलों, आम के बौरों, पक्षियों की चहचहाटों आदि उदाहरणों के माध्यम से किया है। मैं वसंत ऋतु का वर्णन करता तो उस काल की फसलों की भी वर्णन करता। वसंत के महीने में आने वाले त्यौहारों को भी अपने वर्णन में स्थान देता। उस महीने में गाये जाने वाले गीतों के बारे में भी मैं चर्चा करता।
2. सावन को मनभावन क्यों कहा गया है? उदाहरण सहित सिद्ध कीजिए।
ज. सावन के महीने में बाग-बगीचों में भौंरे गुंजार करते हुए भ्रमण करते हैं। लोग मल्हार गाते है। मल्हार राग गाये जाते हैं। चारों ओर घनघोर मेघों को देखकर मोर नाच रहे होते हैं। मोरों का शोर और डालों पर पड़े सुंदर-सुंदर झूलों का समूह बड़े मनभावन लगते हैं। इन्हीं कारणों से सावन को मनभावन कहा गया होगा।
3.कवि पद्माकर ने वसंत ऋतु का चित्रण किस प्रकार किया है?
ज.अपने शब्दों में लिखिए। ज. पाठ में पद्माकर के दो कवित्त हैं। दोनों कवित्त ऋतु वर्णन से संबंधित हैं। पहले में वसंत ऋतु का मनोहारी चित्रण है तो दूसरे में सावन के महीने का। दोनों ही कवित्तों में ऋतुओं का सजीव चित्रण है। भाषा एवं भाव की दृष्टि से इनमें नयापन विद्यमान है। पद्माकर जी वसंत का वर्णन करते हुए कहते हैं कि इस ऋतु की बात ही निराली है। वसंत में बाग-बगीचों में भौरों के दल गुंजार करते हैं। डालों पर झूले पड़ जाते हैं। आमों की डाली के झूलों पर बौर छा जाते हैं। उनका कहना है कि इन दिनों गली गली में बहार छा जाती है। लोग बन-ठन कर गलियों में निकल पड़ते हैं। चारों ओर सुंदरता ही सुंदरता होती है। पक्षी गीत गाते हैं। ऐसे ऋतुराज के दिनों का वर्णन शब्दों द्वारा संभव नहीं है। वसंत ऋतु की सुंदरता ही अद्भुत है। इस ऋतु का आनंद, रीति, राग, रंग सब कुछ निराला है।
4. कवि पद्माकर ने सावन का चित्रण किस प्रकार किया है? ज. पद्माकर का ऋतु वर्णन के लिए सिद्ध कवि माने जाते हैं। ऋतुओं पर आधारित उनके कवित्त बड़े प्रसिद्ध हैं। वे रीतिकाल के सुप्रसिद्ध कवि हैं। वे कवित्त छंद के सुविख्यात कवि हैं। इस कवित्त में सावन के महीने का मनोहारी वर्णन है। कवि कहते हैं कि सावन के महीने में बाग-बगीचों में भैौरे गुंजार करते हुए भ्रमण करते हैं। लोग मल्हार गाते हैं। मल्हार राग के गीत बड़े मनोहर लगते हैं। पद्माकर कहते हैं कि सावन का महीना प्रतो अपने अभिमान, मान तथा प्राण से प्यारा लगता है। यह बहुत मनभावन लगता है। चारों ओर घनघोर मेघों को देखकर मोर नाच रहे होते हैं। मोरों का शोर और डालों पर पड़े सुंदर सुंदर झूलों का समूह बड़े मनभावन लगते हैं। इस महीने में चारों ओर प्रेमपूर्ण वातावरण रहता है। प्रेम सरसाने और मेघ बरसाने वाला यह सावन का महीना बड़ा ही सुहावना लगता है।
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