उपवचक - 01 इस जल प्रलय में
-फणीश्वरनाथ रेणु
प्रश्न
1. बाढ़ की खबर सुनकर लोग किस तरह की तैयारी करने लगे?
ज. बाढ़ की खबर सुनकर लोग अपनी सुरक्षा का प्रबंध करने लगे। वे अपने लिए आवश्यक सामग्री जुटाने में लग गये। वे ईंधन, आलू, दियासलाई, पीने का पानी, दवाइयाँ आदि की व्यवस्था करने लगे ताकि पाना से गिर जाने पर उनका कुछ दिनों तक निर्वाह हो सके। नीचे का सामान उठाकर ऊपर रखने लगे तांकि बाढ़ आने पर नुकसान कम से कम हो। स्वयं भी मकान के ऊपरी हिस्से में चले गये।
2. बाढ़ की सही जानकारी लेने और बाढ़ का रूप देखने के लिए लेखक क्यों उत्सुक था?
ज. लेखक ने बाढ़ कई बार देखी थी। उसने अनेक बार बाढ़ से होने वाली तबाही देखी थी। उसने बाढ़ पीड़ितों के लिए सहायता भी की थी। परंतु किसी नगर में पानी किस प्रकार घुसता है, यह उसने न देखा था। इसलिए उसने नगर में घुसते हुए पानी को देखने की बड़ी उत्सुकता थी। इसलिए वह रिक्शे पर बैठकर पानी देखने चल पड़ा।
3.'मृत्यु का तरल दूत' किसे कहा गया है और क्यों?
ज. 'मृत्यु का तरल दूत' बाढ़ को कहा गया है। बाढ़ के कारण बड़ी तबाही होती है। असंख्य लोगों को अपने प्राण गवाँने पड़ते है। इसके कारण चारों ओर त्राहि-त्राहि मच जाती है। जान-माल दोनों का ही भारी नुकसान होता है। बाढ़ के पानी में तो लोग मरते ही हैं, यह भूखमरी और बीमारियों का कारण भी बनता है। यह एक भयंकर प्राकृतिक आपदा है। इसलिए इसे मृत्यु का तरल दूत कहा गया है।
4. आपदाओं से निपटने के लिए अपनी तरफ़ से कुछ सुझाव दीजिए।
ज. आपदाओं से निपटने के लिए पहले ही व्यवस्था की जानी चाहिए। यह व्यवस्था सरकार स्तरों पर होनी चाहिए। समाजसेवी संस्थाओं को इसमें सहयोग करना चाहिए। समाज के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह समूह बनाकर योजनाबद्ध ढंग से ऐसी आपदाओं में सेवाकार्य करे। आपदाओं के व व्यक्तिगत दोनों बारे में समय पर सूचना दी जानी चाहिए।
5.ईह! जब दानापूर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए...अब बूझो!-इस कथन द्वारा लोगों की किस मानसिकता पर चोट की गई है?
ज.इस कथन से तात्पर्य है कि जब दूसरे लोग आपदाओं में तबाह होते हैं तो हम उसे गंभीरता से नहीं लेते। हम सोचते हैं कि यह आफत तो दूसरों पर आई है। हम उसे बस किसी किस्से-कहानी की तरह सुनते हैं। लेकिन जब ऐसी आपदा का शिकार स्वयं हम होते हैं तो हमें बड़ी तकलीफ होती है तभी हमें दूसरों के दर्द का आभास होता है।
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